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ज़िंदगी और मौत मे तुम, फर्क बस इतना समझ लो। जगते जब

ज़िंदगी और मौत मे तुम, फर्क बस इतना समझ लो।
जगते जब तक ज़िंदगी है सोते ही वो मौत सुन लो।
ज़िंदगी और दोस्त मे तुम, दोस्ती ही लेना चुन तुम।
ज़िंदगी और मौत मे फ़िर, मौत ही पीछे टली है।
दोस्तों से ज़िंदगी है दोस्ती ज़िंदादिली है।

©HINDI SAHITYA SAGAR
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