अपना कुछ हिसाब बांकी है, कलम से लिखनी इन्कलाब बांकी है, कतरा कतरा लहू का हिसाब बांकी है, मां के ममता की पुकार बांकी है , अपना कुछ हिसाब बांकी है । ज़र्रे ज़र्रे से बचपन की चीत्कार बाक़ी है , लहू से लिखनी इन्कलाब बाक़ी है, हर एक मौत की हिसाब अभी बाक़ी है, तिरंगे की ललकार अभी बाक़ी है , अपना कुछ हिसाब बाक़ी है । #NojotoQuote jaihind #nojoto #nojotohindi #hindi #hindipoetry नयनसी परमार Akshita Jangid(poetess)