मुझे तुम याद आते हो कृष्ण भजन ( तर्ज: जहाँ में हर कहीं हरसू ) जगत में मैं कहीं जाऊं ,मेरे कान्हा मेरे मोहन। मुझे तुम याद आते हो मुझे तुम याद आते हो।। कोई बालक जो माता से, नटखट बात करता है। उसी बालक को देखूं तो, मेरे कान्हा मेरे मोहन, मुझे तुम याद आते हो, मुझे तुम याद आते हो।। जगत,,,,, कोई मुरली की धुन लेकर, कहीं जब गीत गाता है। उसी मुरली की धुन सुनकर, मेरे कान्हा मेरे मोहन, मुझे तुम याद आते हो, मुझे तुम याद आते हो ।। जगत,,,, कोई ग्वाला किसी वन में, जो अपनी गौ चराता है। उसी ग्वाले को देखूं तो , मेरे कान्हा मेरे मोहन, मुझे तुम याद आते हो, मुझे तुम याद आते हो।। जगत,,,, भगत 'पंकज' को बस तेरे, चरण पंकज की आशा है। बनाकर दास रख लेना, मेरे कान्हा मेरे मोहन , मुझे तुम याद आते हो,मुझे तुम याद आते हो।। जगत में मैं कहीं जाऊं,मेरे कान्हा मेरे मोहन, मुझे तुम याद आते हो ,मुझे तुम याद आते हो ।। 🙏🙏 ©Pankaj Dubey बहुत ही सुंदर #कृष्ण #भजन #krishna_flute #bhajan #feellove