काली श्याही थी पलकों में, या घनघोर अंधेरा था, उम्मीद बेवफा थी हमसे, या दिखता नहीं सवेरा था। गोदी में बिठा फिर मां ने मेरी, इस तरह मुझे सुलाया था, उंगली को उठा हल्के से मेरी, वो चांद मुझे दिखाया था।। बोली वो मुझे क्यूं डरता है, डरपोक को नमन नहीं होता, छोटी मोटी सी गलती से, यहां जीवन खत्म नहीं होता। अर्थहीन तारों से परे, एक तारा मुझे दिखाया था, उंगली को उठा हल्के से मेरी, वो चांद मुझे दिखाया था।। रौशन करने दुनियां का घर, चिराग मेरी ही काफी है। चिंगारी सा बुझना ऐसे तेरा, मेरे आदर्शों से नाइंसाफी है, रात से डरते सूरज का, किस्सा अनमोल बताया था, ईद, पूर्णिमा और करवा चौथ में भी, क्या है उसका मोल बताया था, बस उंगली को उठा हल्के से मेरी, वो चांद मुझे दिखाया था।। #shaayavita #maa #chaand #nojoto