बहुत आश्किया की है हमने भी मगर अब आँखो ही आँखो में वो तमाशा फिर से नही देखा जाता,, जिस इश्क़ के रेगिस्तान से गुज़री हूं में अब हाथ मे आंसू लिए मुझसे कोई प्यासा नही देखा जाता,, जिस रास्ते का मंज़र पता है मुझे उस की पहरेदारी का अब मंज़िल मुकाम नही देखा जाता, जो चोट खाई है मैंने दिल पर किसी मासूम के हाथ पे अब लगी खरोच का निशान नही देखा जाता, मेरे हिस्से तो बस मुझे दफनाने जितनी ज़मीन आई है मुझसे अब थोड़ा सा आसमान नही देखा जाता,, #love#december for more clarity read in caption बहुत आश्किया की है हमने भी मगर अब आँखो ही आँखो में वो तमाशा फिर से नही देखा जाता,, जिस इश्क़ के रेगिस्तान से गुज़री हूं में अब हाथ मे आंसू लिए मुझसे