कुछ नया ना हुआ इस रोज़ भी, यूहीं ख्वाबों में ही सफर गया। वो कहाँ है नसीब में हर चाहने वाले के, कुछ यूँ भी मैं उसके दर से गुजर गया। सोचा था मांगेंगे छांव किसी शजर से इस रोज़, डेरा डाला तो सामने बबूल का पेड़ पड़ गया। ये सिलसिला भटकन का चलता रहा ताउम्र, फिर एक रोज़ सांसों का कारवां थम गया। 'सौमित्र' वो भी रोया बहुत विदा करते हुए, जिसने एक रोज़ ये कहा था - मन भर गया। #yqnaya #yqroz #yqkhavab #yqnaseeb #yqman #yqtham #yqkarvan #yqsaumitr