@Panchdoot">#पारुल_प्रवचन
गलतियाँ माँफ भी की जा सकती और नजरदाज़ भी बशर्ते वो बार-बार ना दोहराई जायें। योजनापूर्ण व सोचसमझ कर कीये गये कुकृत्य गलतियाँ नहीं अपराध होते हैं जिन्हें नजरंदाज किया जाये या सहा जाये तो परिणाम विध्वंशकारी होते है ज्सके बाद बाद में पछावे के सिवाय कुछ नहीं बचता अत: हर जगह मौन और सहनशीलता हितकारी नहीं होती
पारुल शर्मा
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