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जब तक सांस है, टकराव मिलता रहेगा. जब तक रिश्ते हैं

जब तक सांस है, टकराव मिलता रहेगा.
जब तक रिश्ते हैं, “घाव” मिलता रहेगा.

पीठ पीछे जो बोलते हैं, उन्हें पीछे ही रहने दें,

अगर हमारे कर्म, भावना और रास्ता सही है.

तो गैरों से भी “लगाव” मिलता रहेगा. जब तक सांस है, टकराव मिलता रहेगा.
जब तक रिश्ते हैं, “घाव” मिलता रहेगा.

पीठ पीछे जो बोलते हैं, उन्हें पीछे ही रहने दें,

अगर हमारे कर्म, भावना और रास्ता सही है.

तो गैरों से भी “लगाव” मिलता रहेगा.
जब तक सांस है, टकराव मिलता रहेगा.
जब तक रिश्ते हैं, “घाव” मिलता रहेगा.

पीठ पीछे जो बोलते हैं, उन्हें पीछे ही रहने दें,

अगर हमारे कर्म, भावना और रास्ता सही है.

तो गैरों से भी “लगाव” मिलता रहेगा. जब तक सांस है, टकराव मिलता रहेगा.
जब तक रिश्ते हैं, “घाव” मिलता रहेगा.

पीठ पीछे जो बोलते हैं, उन्हें पीछे ही रहने दें,

अगर हमारे कर्म, भावना और रास्ता सही है.

तो गैरों से भी “लगाव” मिलता रहेगा.

जब तक सांस है, टकराव मिलता रहेगा. जब तक रिश्ते हैं, “घाव” मिलता रहेगा. पीठ पीछे जो बोलते हैं, उन्हें पीछे ही रहने दें, अगर हमारे कर्म, भावना और रास्ता सही है. तो गैरों से भी “लगाव” मिलता रहेगा.