"देश बदल रहा है" :::::::::::::::::::::::: चुनाव खड़ा सर पर सड़क पर नेता निकल रहा है। जनता भक्ति में लीन देश बदल रहा है। किसी को एस. सी., एस. टी. से परेशानी किसी को आरक्षण लगे बेमानी। कहीं महंगाई के हैं टोटे कहीं पेट्रोल खल रहा है। देश बदल रहा है। कभी तेरा बंद कभी मेरा बंद कभी तू मीरजाफर कभी मैं जयचंद, कहीं तेरी जय-जय कहीं विजय मेरी तय दोनों का काम चल रहा है देश बदल रहा है। चिनगारी सुलग रही सीनों में मद्धम-मद्धम धुआँ निकल रहा है, जुबां उगल रही आग सियासत फूल-फल रहा है। पर धधक उठे जो ज्वाला नफरत की मत कहना कि देश जल रहा है। अरे ! देश बदल रहा है। कलम कहती है फिर इतिहास दोहरायेगा, दिन वो नब्बे एकानवे वाला आयेगा। जाति के नाम पर आग लगेगी सड़कें सुनसान गलियों तक श्मसान जायेगा। फिल्म बाकी, अभी ट्रेलर चल रहा है देश बदल रहा है। Arun Kranti Kushwaha Copyright reserved "देश बदल रहा है" :::::::::::::::::::::::: चुनाव खड़ा सर पर सड़क पर नेता निकल रहा है। जनता भक्ति में लीन देश बदल रहा है।