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वे शब्द मेरी नजदीकियों से इतने वाकिब न थे, उपलब्ध

वे शब्द मेरी नजदीकियों से इतने वाकिब न थे,

उपलब्धियों पर केवल सवालों का जश्न मना रहा था।



जमाना कूटकर हिलौरे भर रहा था मेरी सांसों में,

मैं हर मोड़ पे अग्निपरीक्षा से गुजर रहा था ।। #अग्निपरीक्षा ।




#Hindi #Best #shayari #Poetry
वे शब्द मेरी नजदीकियों से इतने वाकिब न थे,

उपलब्धियों पर केवल सवालों का जश्न मना रहा था।



जमाना कूटकर हिलौरे भर रहा था मेरी सांसों में,

मैं हर मोड़ पे अग्निपरीक्षा से गुजर रहा था ।। #अग्निपरीक्षा ।




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