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ग़ज़ल मैनें दिन के उज़ाले में कई ख़्वाब लिखे हैं, रात

ग़ज़ल

मैनें दिन के उज़ाले में कई ख़्वाब लिखे हैं,
रातों को अकसर जागते माहताब लिखे हैं,
दुनिया की भीड़ में कुछ यूँ दब सा गया है,
लाखों जुगनूओं की रौशनी ने गुलाब लिखे हैं,
दामन में बसे खुदा की इक रहमत की कसम ऐ दोस्त,
मैनें लाखों बार लफ़्ज जोड़कर अहबाब लिखे हैं,
बावक्त तेरा हर इक ज़िक्र मेरी तहरीर में ऐ सनम,
मैनें सोते जागते हर पल ये आफ़ताब लिखे हैं,
नई किरणों की चमक देखकर राह-ए-जिंदगी में "शैख़",
मैनें हज़ारों बार अपना बिखरा हुआ आलम-ए-सादाब लिखे हैं..!! #gif Ghazal
Manish Rout Susmita Srivastva
ग़ज़ल

मैनें दिन के उज़ाले में कई ख़्वाब लिखे हैं,
रातों को अकसर जागते माहताब लिखे हैं,
दुनिया की भीड़ में कुछ यूँ दब सा गया है,
लाखों जुगनूओं की रौशनी ने गुलाब लिखे हैं,
दामन में बसे खुदा की इक रहमत की कसम ऐ दोस्त,
मैनें लाखों बार लफ़्ज जोड़कर अहबाब लिखे हैं,
बावक्त तेरा हर इक ज़िक्र मेरी तहरीर में ऐ सनम,
मैनें सोते जागते हर पल ये आफ़ताब लिखे हैं,
नई किरणों की चमक देखकर राह-ए-जिंदगी में "शैख़",
मैनें हज़ारों बार अपना बिखरा हुआ आलम-ए-सादाब लिखे हैं..!! #gif Ghazal
Manish Rout Susmita Srivastva