गज़ल तुम आये नहीं वहाँ पर, मजमा जमा रखा था, इक तेरे इश्क़ का कलमा, हमने भी पढ़ा था। बेगानी उस महफिल से हम, भूखे ही लौट गए, तन्हाई की हाण्डी में घर, चाँद पका रखा था। तेरी यादों की मेहंदी हमने, रातभर रचाई तो, सुबह-सुबह इक नज़्म का, आफताब रचा था। तेरा नशा-ए-इश्क़ ज़ेहन से, उतरा नहीं अभी तक, जबकि उस प्याले का बस, घूंटभर पिया था। तेरी इक मुस्कान पे वो, आखिरी मुलाकात थी, उस लमहा मैं मरा था, उसी लमहा जिया था। #evening #sadpoetry #sadshayri #gazal #urdupoetry #lovepoetry #romanticshayri #heartbroken #life #NojotoIndore