अफवाओं के झुंड ने , बातों को यूंही आज़ाद कर दिया.... वो लहेजा मेरा ना था , पर सच में फिक्र किसको था?? वो, सब गलत था , झूठ था यकीन मानों , मेरे बेगुनाही से मतलब सबको था .. बस बात इतनी सी थी , उन्हें अफ़वाओं से लगाओ ज्यादा था ..... A story is always a real story until it is not scripted by third writer....