नफ़रत का कहीं नामोनिशान न हो हर इक मज़हब का सम्मान हो । न जले घर,न मरे बेमौत इन्सान ऐसा हो ख़्वाबों का हिन्दुस्तान । #क़लम_ए_ख़ास