जिस तरह बे मौसम बारिश सूखे पत्तों पे आवाज़ करती है, तुम भी आजकल बिन बोले मुझ से इस तरह बात करते हो, ना पता है तुम्हे मेरी परेशानी का ना ही मेरे दिल की हालत का, मैं ऐसा क्यों हो रही हूँ ये सवाल भी तुम नहीं करते हो,