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जिस तरह बे मौसम बारिश सूखे पत्तों पे आवाज़ करती है

 जिस तरह बे मौसम बारिश सूखे पत्तों पे आवाज़ करती है,

तुम भी आजकल बिन बोले मुझ से इस तरह बात करते हो,

ना पता है तुम्हे मेरी परेशानी का ना ही मेरे दिल की हालत का,

मैं ऐसा क्यों हो रही  हूँ ये सवाल भी तुम नहीं करते हो,
 जिस तरह बे मौसम बारिश सूखे पत्तों पे आवाज़ करती है,

तुम भी आजकल बिन बोले मुझ से इस तरह बात करते हो,

ना पता है तुम्हे मेरी परेशानी का ना ही मेरे दिल की हालत का,

मैं ऐसा क्यों हो रही  हूँ ये सवाल भी तुम नहीं करते हो,
anumehta9658

Anu Mehta

New Creator

जिस तरह बे मौसम बारिश सूखे पत्तों पे आवाज़ करती है, तुम भी आजकल बिन बोले मुझ से इस तरह बात करते हो, ना पता है तुम्हे मेरी परेशानी का ना ही मेरे दिल की हालत का, मैं ऐसा क्यों हो रही हूँ ये सवाल भी तुम नहीं करते हो,