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अब बस रहा हैं शहर मुझमें , पहले गांव हुआ करता था ,

अब बस रहा हैं शहर मुझमें , पहले गांव हुआ करता था ,
 
गुलों के ख़िलने से पहले , दिल श्मशान हुआ करता था ।


चूड़ियां खनकती थी कानों में मेरे , नज़र पायल पर टिकी होती थीं ,
 
इश्क़ का नज़र में मेरी बस , इतना ही सामान हुआ करता था । 


खफ़ा न करदूँ  किसी सितारे को , मोह्हबत से अपनी , 

मैं इंसा ही था , मेरा जमीं पर ही महताब हुआ करता था ।


ख़ुदा का ज़िक्र न था , क़ाफ़िर था मैं उसे देखने से पहले ,

छत पर आना बंद क्या किया उसनें , इधर रमज़ान हुआ करता था । 


आंखे पढ़ी थी मैंने उसकी , हर पहर ख़ुद में ख़ुदा बसाकर , 

इश्क़ नया-नया था मुझमें , मुझसे हैरान हुआ करता था । एक ग़ज़ल 
#hindithoughts 
#ghajal 
#shayari 
#nojotopoetry 
#hindiwriter
अब बस रहा हैं शहर मुझमें , पहले गांव हुआ करता था ,
 
गुलों के ख़िलने से पहले , दिल श्मशान हुआ करता था ।


चूड़ियां खनकती थी कानों में मेरे , नज़र पायल पर टिकी होती थीं ,
 
इश्क़ का नज़र में मेरी बस , इतना ही सामान हुआ करता था । 


खफ़ा न करदूँ  किसी सितारे को , मोह्हबत से अपनी , 

मैं इंसा ही था , मेरा जमीं पर ही महताब हुआ करता था ।


ख़ुदा का ज़िक्र न था , क़ाफ़िर था मैं उसे देखने से पहले ,

छत पर आना बंद क्या किया उसनें , इधर रमज़ान हुआ करता था । 


आंखे पढ़ी थी मैंने उसकी , हर पहर ख़ुद में ख़ुदा बसाकर , 

इश्क़ नया-नया था मुझमें , मुझसे हैरान हुआ करता था । एक ग़ज़ल 
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