हुनर भी शांत हो गए जब, हुनर भी शांत हो गए ज़ब तन्हा इक परिंदे को उड़ते देखा, ऊंचाइयों की उड़ान भरते पर अपनों से दूर होते देखा, तन्हा इस हुनर को पाके क्या पा लिया तूने, गैरों की महफिल मे इक हुनरदार को "हम" से "मै" बनते देखा! शोहरतो और कामयाबियों को गले से लगाते देखा, हर मंजर का नजारा बन महफिल-ए-जान बनते देखा, कुदरत ने भी आंखे मूद लीं हुनर भी बेजुबाँ हो गया, अपने बने थे सीढ़ियां जिसकी उसे शोहरतों की बलि ज़ब चढ़ते देखा!!~~•shubhi•~~© #hunar हुनर भी बेजुबाँ हो गया ज़ब........ #nojoto #nojotohindi #nojotoshayri #poem #talent #petry #sadness Lakshmi singh Dilwala®