तुझसे भी मै क्या कहूं तुन्हें भी जिंदगी के कुछ रंग जीना सिखाया है बहुत सी मंजिल तक पहुंचाया है जब डूब जाती थी मेरी नाव तो उसे तूने ही पार कराया है