मेरे दर्द से ना मेरा हाल पूछिये आशिक़ हूं गुमनाम ही अच्छा हूं. मर मर के क्या जीना जुदाई में बेजान हुं बेजान ही अच्छा हूं। बेजान✍️ पंडित नरेन्द्र द्विवेदी