वो आपस में हमें लड़वाते हैं, हम उनके झांसे में आ जाते हैं। इंसान, इंसान को ही जलाकर, इंसानियत को दफनाते हैं। वीरों के बलिदान को भी वो भूल जाते हैं। एक हिन्दुस्तानी को हिन्दू-मुस्लिम कहकर लड़वाते हैं। कोई देश के लिए हंसकर फांसी पर चढ़ जाते हैं। और यहां कुछ ऐसे हैं, जो अपना देश जलाते हैं। कोई सरहद पर देश की रक्षा कर, अपनी जान गवाते हैं। यहां तो देश में ही रहकर लोग, देश से ही गद्दारी कर जाते हैं। मैंने तो हिन्दू को ईद और मुस्लिम को दीवाली मनाते देखा है। मेरे गम में तो मेरे मुस्लिम दोस्त भी आंसू बहाते हैं। फिर क्यों मजहब के नाम पर यहां दंगे किए जाते हैं। कितने ही निर्दोश बेरहमी से मारे जाते हैं। बेपरवाह हो लोग दिल्ली को जलाते हैं। एकता हमारी पहचान है, मजहब ही तो शान हैं। लेकिन, चंद पैंसों के ख़ातिर लोग, देश को हिन्दू-मुस्लिम में बांटने को तैयार हैं। माना सरकार कुछ नहीं करती, प्रशासन भी लाचार है। पर देश के बिगड़ते इन हालातों की, क्या सरकार ही सिर्फ जिम्मेदार है। सवाल बहुत हैं नेताओं से, पर खुद से भी एक सवाल करो। और कुछ नहीं तो कम से कम इंसान बनो...। #Delhi_riots_2020 #wordsbysuman #nojotowriter