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बचपन और पहला दोस्त जब दोस्त शब्द हम जानते तक नहीं

बचपन और पहला दोस्त जब दोस्त शब्द हम जानते तक नहीं थे
जब किसी रिश्तों को पहचानते तक नहीं थे
जब किसी रश्मों रिवाजों को मानते तक नहीं थे
जब ठोकरों पर संभलना जानते तक नहीं थे
वो तबसे रखा है हाथ मेरे कांधे पर 
जो हर पल हर गम से बचाता है मुझे
रोते रोते हंसाता है मुझे
लड़खडाए तो संभालता है मुझे...।।

©amisha #BachpanAurPehlaDost
बचपन और पहला दोस्त जब दोस्त शब्द हम जानते तक नहीं थे
जब किसी रिश्तों को पहचानते तक नहीं थे
जब किसी रश्मों रिवाजों को मानते तक नहीं थे
जब ठोकरों पर संभलना जानते तक नहीं थे
वो तबसे रखा है हाथ मेरे कांधे पर 
जो हर पल हर गम से बचाता है मुझे
रोते रोते हंसाता है मुझे
लड़खडाए तो संभालता है मुझे...।।

©amisha #BachpanAurPehlaDost