एक मुसव्विर ने तेरी तस्वीर दिखाई थी मुझे जिसे देख कर मेरे अल्फाज अटकने लगे तेरी जवानी ऐसे ढल जायेगी सोचा नहीं था बदन मुज्महिल पड़ गया, लिबास लटकने लगे इब्तिदा इश्क़ की है या किसी आज़ार की मरहला बढ़ने लगे, और तुम सिमटने लगे ऐसी कौन सी दरिया है, उस रक़ीब के पास जिसकी प्यास में तुम, यहाँ वहाँ भटकने लगे ये दरिया नहीं है, रेगिस्तान की मृगतृष्णा है जिसकी तिश्नगी में तुम, अपना सिर पटकने लगे..! #NojotoQuote