जो थके नही हैं राहों में, राहु बनकर क्या दिखलाते हो, सीखे है चलना तलवारो की ढालो पर, क्या मिला है इन राहों पर जाने हम, मिलते भी रहे जो राहों में, भूले से रहे हम उनको, लिए सजाए सपने मिलने को भी तरसते रहे, राहों मे भी चलते रहे, जो नई राह दिख जाती है तो उस पग तुम मिल जाते हो, चलूं उस पग पर तो दूर तुम हो जाते, देखूं इन राहों पर तो तुम खो जाते हो। By ~ललित सिंह