कंकड़ माटी की दुनिया है जहां देखो वहा कोई ना कोई बसा है आते जाते से मुझे लोग दिखाई देते है अनजानों से एक अलग पहचान करवा देते है ऐसे देखोगे तो दिखेगा नहीं मेरे शहर में प्यार से भरे लोग बस्ते है। होता है मंदिर की घंटी का शोर तो कभी तप से तप करने सी शांति ताता बंधता सा दिखाई देता है कभी तो सुनसान सी गालियां नजर आए कभी गलियों और चौबारे को बस नजर भर कर देखती हूं यूं तो कभी नहीं जाती मै बाहर पर अपने शहर को अपने ही अन्दर महसूस कर लेती हूं हवाओं का झोंका मुझे अलग ही मस्ती में लेकर जाता है जब बरसात हो जाए तो बूंद भी उसके साथ प्रेम रस गाते जाते है ये शहर मेरा कैसा है आने जाने वालों से कई बार सुनाई देता है। #MeraShehar #Mera Sheher