आँखों में अश्रु घनेरे दो, हाँ घाव हृदय बहुतेरे दो | लो सब बटोर सुख के मोती, भर दो पीड़ाओं से दामन, हाँ जाओ चले खुशियों के क्षण || कवि शिवम् सिंह सिसौदिया हाँ जाओ चले खुशियों के क्षण