दरिया की भीगी रेत को क्या पता बंजर होने का दर्द क्या होता है खुलती हैं आंखें और दिखाई नहीं देता आंखों वाले क्या समझेंगे दिखाई नहीं देने का दर्द क्या होता है बेजान सा हर रिश्ता है रिश्तों का दर्द वो क्या समझेंगे जो रूह के रिश्तों से दूर है दरिया की भीगी रेत को पता नहीं है बंजर होने का दर्द क्या होता है पंख बिना पंछी परवान नहीं भरता पंख वाले पंछी को पता ही नहीं है पंख नहीं होने का दर्द क्या होता है उन्मुक्त गगन में नहीं उड़ पाने का अहसास क्या होता है आंधी और तूफ़ान को क्या पता मंद बहती बयार का सुकून क्या होता है अपने रूठे प्यार को मनाने में रूह महकने लगती है महबूब जिसका रूठा ही नहीं उसको इस जन्नत का पता ही नहीं है ©Beena Kumari #banjar