बंद आँखों से देखा.. वो.. सपना, अधूरा... नज़र आया। काल्पनिक सा था.. वो सपना, जो.. ख्यालों में ही... पूरा हो गया। जब सामने देखा..., तो...वो कागज़... कोरा नज़र आया । ना लिखा था.. पैग़ाम.. वो इत्तु सा, धुला हुआ... समंद्र नज़र आया। बूँद बूँद से जुड़ा, वो बादल.... धुँआ हो गया। धूल में लिपटी ...थी.... वो क़िताब... कोरी नज़र आई। कल... मुक़मल.. हुई वो मोहब्बत..., बिखरी... नज़र आई, आँख खोली... तो.. सपना टूट गया, हकीकत... कुछ यूँ...नज़र आई। इत्तु सा... इत्तु सा पैग़ाम अधूरेपन के नाम। बंद आँखों से देखा.. वो.. सपना, अधूरा... नज़र आया। काल्पनिक सा था.. वो सपना, जो.. ख्यालों में ही... पूरा हो गया। जब सामने देखा..., तो...वो कागज़... कोरा नज़र आया ।