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ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं और ना पास रहने

ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं और
 ना पास रहने से जुड़ जाते हैं।
यह तो अहसास के पक्के धागे हैं, 
जो याद करने से और मजबूत हो जाते हैं। ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं और ना पास रहने से जुड़ जाते हैं।
यह तो अहसास के पक्के धागे हैं, जो याद करने से और मजबूत हो जाते हैं।
ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं और
 ना पास रहने से जुड़ जाते हैं।
यह तो अहसास के पक्के धागे हैं, 
जो याद करने से और मजबूत हो जाते हैं। ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं और ना पास रहने से जुड़ जाते हैं।
यह तो अहसास के पक्के धागे हैं, जो याद करने से और मजबूत हो जाते हैं।

ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं और ना पास रहने से जुड़ जाते हैं। यह तो अहसास के पक्के धागे हैं, जो याद करने से और मजबूत हो जाते हैं।