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अपना तो क्या ही बताऊँ क्या था मैं क्या हो गया वो आ

अपना तो क्या ही बताऊँ
क्या था मैं
क्या हो गया
वो आह
उन नारों को रौंदती जब उसके कानों में पहुँची
मेरा खुदा भी ला-मज़हब हो गया।
- अभिमन्यु कमलेश राणा । "ला-मज़हब"

अपना तो क्या ही बताऊँ
क्या था मैं
क्या हो गया
वो आह
उन नारों को रौंदती जब उसके कानों में पहुँची
मेरा खुदा भी ला-मज़हब हो गया।
अपना तो क्या ही बताऊँ
क्या था मैं
क्या हो गया
वो आह
उन नारों को रौंदती जब उसके कानों में पहुँची
मेरा खुदा भी ला-मज़हब हो गया।
- अभिमन्यु कमलेश राणा । "ला-मज़हब"

अपना तो क्या ही बताऊँ
क्या था मैं
क्या हो गया
वो आह
उन नारों को रौंदती जब उसके कानों में पहुँची
मेरा खुदा भी ला-मज़हब हो गया।

"ला-मज़हब" अपना तो क्या ही बताऊँ क्या था मैं क्या हो गया वो आह उन नारों को रौंदती जब उसके कानों में पहुँची मेरा खुदा भी ला-मज़हब हो गया। #Photography #Music #Like #writingcommunity #poetryisnotdead #poets #instapoetry #poesia