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#OpenPoetry जैसे भी हो तुम वैसे रहो बनके मुसाफिर

#OpenPoetry जैसे भी हो तुम वैसे रहो 
बनके मुसाफिर मिलते रहो 
बेसक नजरिया बदले गा एक दिन 
बस तुम निगाहें मिलाते रहो 
  अवाजे आये गी सौ तरहा की 
कस्ती मिलेगी हर एक स्वरा की 
खोय गे रस्ते छूटे गी राहे 
गर बनके मुसाफिर चलते रहो 
@sachan #sayriwale
#OpenPoetry जैसे भी हो तुम वैसे रहो 
बनके मुसाफिर मिलते रहो 
बेसक नजरिया बदले गा एक दिन 
बस तुम निगाहें मिलाते रहो 
  अवाजे आये गी सौ तरहा की 
कस्ती मिलेगी हर एक स्वरा की 
खोय गे रस्ते छूटे गी राहे 
गर बनके मुसाफिर चलते रहो 
@sachan #sayriwale
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