#OpenPoetry जैसे भी हो तुम वैसे रहो बनके मुसाफिर मिलते रहो बेसक नजरिया बदले गा एक दिन बस तुम निगाहें मिलाते रहो अवाजे आये गी सौ तरहा की कस्ती मिलेगी हर एक स्वरा की खोय गे रस्ते छूटे गी राहे गर बनके मुसाफिर चलते रहो @sachan #sayriwale