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खुली किताब सी है जिन्दगी, कोई राज़ मत समझना, इश्क़ म

खुली किताब सी है जिन्दगी, कोई राज़ मत समझना,
इश्क़ में मिले हर नायाब तोहफे को ताज़ मत समझना।

लब चुप- चुप से हैं, आँखें भी भीगी -भीगी सी हैं सनम,
खोई हुई हूँ ख़्वाबों की दुनियाँ में नाराज़ मत समझना।

लेटी हुई हूँ तेरी यादों की चादर से लिपटकर मैं इस तरह,
तुम खूबसूरत मकबरे में सोई हुई मुमताज़ मत समझना।

जो रूठ जाऊँ महोब्बत में तो आकर के मना लेना तुम,
रूठने की अदा को तुम बेवफाई का अंदाज़ मत समझना।

हूँ दूर तुमसे हो करके मजबूर कितनी ये तुम नहीं समझते,  
 'स्नेहा' की दूरीयों को तुम बेवफाई का आग़ाज़ मत समझना। #स्नेहा_अग्रवाल
खुली किताब सी है जिन्दगी, कोई राज़ मत समझना,
इश्क़ में मिले हर नायाब तोहफे को ताज़ मत समझना।

लब चुप- चुप से हैं, आँखें भी भीगी -भीगी सी हैं सनम,
खोई हुई हूँ ख़्वाबों की दुनियाँ में नाराज़ मत समझना।

लेटी हुई हूँ तेरी यादों की चादर से लिपटकर मैं इस तरह,
तुम खूबसूरत मकबरे में सोई हुई मुमताज़ मत समझना।

जो रूठ जाऊँ महोब्बत में तो आकर के मना लेना तुम,
रूठने की अदा को तुम बेवफाई का अंदाज़ मत समझना।

हूँ दूर तुमसे हो करके मजबूर कितनी ये तुम नहीं समझते,  
 'स्नेहा' की दूरीयों को तुम बेवफाई का आग़ाज़ मत समझना। #स्नेहा_अग्रवाल