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आ अब गांव चलते हैं लह लहराते उपजों में झूमतें हैं

आ अब गांव चलते हैं
लह लहराते उपजों में झूमतें हैं
पुवाल दरख्त पर बैठतें हैं 
मकसद ए रोटी से रूठ 
भनुगा बन इर्द-गिर्द में चलते हैं ।

आ अब गांव चलते हैं 
चमचमाती सितारों में जगतें हैं 
गपशप फुल-कांटें की करते हैं 
चकाचौंध चमकाहत से होकर चूर 
चांदनी चांद में चलते हैं ।

आ अब गांव चलते हैं
खाली टांग पिछलतें हैं 
बुजुर्गों की अनुभूति करतें हैं 
बुलंद तामिर से होकर मुक्त
नील गगन के मैत्री में चलते हैं ।

- ईशांत मोदी #मेरा_गांव ।
आ अब गांव चलते हैं
लह लहराते उपजों में झूमतें हैं
पुवाल दरख्त पर बैठतें हैं 
मकसद ए रोटी से रूठ 
भनुगा बन इर्द-गिर्द में चलते हैं ।

आ अब गांव चलते हैं 
चमचमाती सितारों में जगतें हैं 
गपशप फुल-कांटें की करते हैं 
चकाचौंध चमकाहत से होकर चूर 
चांदनी चांद में चलते हैं ।

आ अब गांव चलते हैं
खाली टांग पिछलतें हैं 
बुजुर्गों की अनुभूति करतें हैं 
बुलंद तामिर से होकर मुक्त
नील गगन के मैत्री में चलते हैं ।

- ईशांत मोदी #मेरा_गांव ।