बदला हुआ मौसम बदली बदली सी फ़िज़ाएँ है बज़्म रंगीन हो चली हैं और जलती शमाएँ हैं रूमानी हुई पड़ी तबीयत मुल्क़ की देखो तो रिश्तों के नए कायदों पे मंद मंद मुस्काये है . शुक्रिया क़ाज़ी तिरा बड़े नायाब फ़ैसले हुए हैं नए हिसाब से शुरू अब नए सिलसिले हुए हैं . धीर शुक्रिया