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मारो, कितनों को मारोगे? कितनी किताबें














मारो,
कितनों को मारोगे?
कितनी किताबें, अखबार और पन्ने जलाओगे
हम स्याही में बारुद मिलाकर लिखेंगे,
फिर जलाना हमारी लेखनी को
हर हर्फ विस्फोट करेगा और जला कर राख कर देगा तुम्हारे दोगलेपन को।

© दीपक उपाध्याय
  (कल़मखोर✒)













मारो,
कितनों को मारोगे?
कितनी किताबें, अखबार और पन्ने जलाओगे
हम स्याही में बारुद मिलाकर लिखेंगे,
फिर जलाना हमारी लेखनी को
हर हर्फ विस्फोट करेगा और जला कर राख कर देगा तुम्हारे दोगलेपन को।

© दीपक उपाध्याय
  (कल़मखोर✒)