आईने से,डर गए तुम, सच से,मुकर गए तुम।। आमो को पाने के चक्कर में, बगीचे में,ठहर गए तुम।। गांव की छोड़ कीमती जायदाद, पैसे कमाने,शहर गए तुम। दरवाज़े पर रहती हैं एक परछाई, अभी तक नहीं,घर गए तुम।। खुद गए समंदर किनारे और, लहरों को देख,सिहर गए तुम। चाँद बनने की चाहत में, तारों सा,बिखर गए तुम। - आर्यावर्त वेद प्रकाश #NojotoQuote follow me guys.. if you like it.. share it.... aur jitna jyda se jyda ho like kijiye,agar meri baatein aap tak pahuch jaaye to comment me btaye.. Abhishek Sagar Prashant Verma Achal Sharma Akshita Jangid(poetess)