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खुशबू का पीछा करते करते, भटक कर यूँ हम, किस वीराने

खुशबू का पीछा करते करते, भटक कर यूँ हम, किस वीराने आ पहुँचे।

दरअसल मृगतृष्णा का जाल था वो, जिसे हम संसार समझ बैठे ।।
खुशबू का पीछा करते करते, भटक कर यूँ हम, किस वीराने आ पहुँचे।

दरअसल मृगतृष्णा का जाल था वो, जिसे हम संसार समझ बैठे ।।