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मेरे चेहरे मुझे ही डराते हैं, तुम इश्क पर लिखो वो


मेरे चेहरे मुझे ही डराते हैं,
तुम इश्क पर लिखो वो भूखे सो जाते हैं 
शोणित हाथ धिक्कारती है मेरे वजूद को,
रूह छिटकती है मेरे मौजूद से ,
तुम मखमल में जग प्रेम 'अंकित' करते हो।
वो सर्दी में ठिठुर कर कपंकपांते हैं।

मेरे चेहरे मुझे ही डराते हैं,
तुम इश्क पर लिखो वो भूखे सो जाते हैं 
शोणित हाथ धिक्कारती है मेरे वजूद को,
रूह छिटकती है मेरे मौजूद से ,
तुम मखमल में जग प्रेम 'अंकित' करते हो।
वो सर्दी में ठिठुर कर कपंकपांते हैं।