मेरे चेहरे मुझे ही डराते हैं, तुम इश्क पर लिखो वो भूखे सो जाते हैं शोणित हाथ धिक्कारती है मेरे वजूद को, रूह छिटकती है मेरे मौजूद से , तुम मखमल में जग प्रेम 'अंकित' करते हो। वो सर्दी में ठिठुर कर कपंकपांते हैं।