कहती कुछ हूं करती कुछ और हूं बोलती कुछ हूं सोचती कुछ और ही हूं कोई ऐसी दवा दो जिससे "मैं" मैं ना रहूं कुछ और हो जाऊं दिल में जो बात हो उसे जुबां पे ले आऊं कोई ऐसी दवा दो जिससे "मैं" मैं ना रह जाऊं।। #शब्द#मन#आवाज़#मैं