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कल हम भी बारिश मे छपाके लगाया करते थे, आज इसी बार

कल हम भी बारिश मे छपाके 
लगाया करते थे,
आज इसी बारिश मे कीटाणु 
देखना सीख गये।
कल बेफिक्र थे कि माँ क्या कहेगी ,
आज बारिश से मोबाइल बचाना 
सीख गये।
कल दुआ करते थे कि बरसे 
बेहिसाब तो छुट्टी हो जाए,
अब डरते हैं कि रुके ये बारिश 
कही ड्यूटी न छूट जाये।
किसने कहा नहीं आती वो बचपन 
वाली बारिश,
हम ख़ुद अब काग़ज़ की नाव 
बनाना भूल गए।
।। बारिश तो अब भी बारिश है।।
।। हम अपना ज़माना भूल गये।।
कल हम भी बारिश मे छपाके 
लगाया करते थे,
आज इसी बारिश मे कीटाणु 
देखना सीख गये।
कल बेफिक्र थे कि माँ क्या कहेगी ,
आज बारिश से मोबाइल बचाना 
सीख गये।
कल दुआ करते थे कि बरसे 
बेहिसाब तो छुट्टी हो जाए,
अब डरते हैं कि रुके ये बारिश 
कही ड्यूटी न छूट जाये।
किसने कहा नहीं आती वो बचपन 
वाली बारिश,
हम ख़ुद अब काग़ज़ की नाव 
बनाना भूल गए।
।। बारिश तो अब भी बारिश है।।
।। हम अपना ज़माना भूल गये।।