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दिल बेचारा...! खुद से जीता दुनिया से हारा, कभी रूठ

दिल बेचारा...! खुद से जीता दुनिया से हारा,
कभी रूठा कभी मनाया,
ख़्वाब देखे बहोत से, पूरे न हुए तो ठुकराया,
मुश्किल सफर है खुशियों का, रोकर भी मंज़िल तक पहुचाया।
दिल बेचारा...! खुद से जीता दुनिया से हारा,
मुख़्तसर हँसाता, तो अक्सर रुलाता,
आस लगाए रहता खुशियों की, गम की और बाहें फैलाता,
इतराता बहोत सबके सामने, अकेले में सिमट सा जाता।।
दिल बेचारा...! खुद से जीता दुनिया से हारा,
मचलता, बहकता... फिर संभल जाता,
अपनी सिसकियों से, सहम सा वो जाता,
चहकता, इतराता... वो फिर मुस्कुराता।
दिल बेचारा...! खुद से जीता दुनिया से हारा,
बाहों में बाहें डाल के चलता, 
खुद मर-मर कर, जीना सिखाता,
दिल बेचारा...! खुद से जीता दुनिया से हारा।।

-शिखर सिंह
@slekh__stories दिल बेचारा...! खुद से जीता दुनिया से हारा,
कभी रूठा कभी मनाया,
ख़्वाब देखे बहोत से, पूरे न हुए तो ठुकराया,
मुश्किल सफर है खुशियों का, रोकर भी मंज़िल तक पहुचाया।
दिल बेचारा...! खुद से जीता दुनिया से हारा,
मुख़्तसर हँसाता, तो अक्सर रुलाता,
आस लगाए रहता खुशियों की, गम की और बाहें फैलाता,
इतराता बहोत सबके सामने, अकेले में सिमट सा जाता।।
दिल बेचारा...! खुद से जीता दुनिया से हारा,
कभी रूठा कभी मनाया,
ख़्वाब देखे बहोत से, पूरे न हुए तो ठुकराया,
मुश्किल सफर है खुशियों का, रोकर भी मंज़िल तक पहुचाया।
दिल बेचारा...! खुद से जीता दुनिया से हारा,
मुख़्तसर हँसाता, तो अक्सर रुलाता,
आस लगाए रहता खुशियों की, गम की और बाहें फैलाता,
इतराता बहोत सबके सामने, अकेले में सिमट सा जाता।।
दिल बेचारा...! खुद से जीता दुनिया से हारा,
मचलता, बहकता... फिर संभल जाता,
अपनी सिसकियों से, सहम सा वो जाता,
चहकता, इतराता... वो फिर मुस्कुराता।
दिल बेचारा...! खुद से जीता दुनिया से हारा,
बाहों में बाहें डाल के चलता, 
खुद मर-मर कर, जीना सिखाता,
दिल बेचारा...! खुद से जीता दुनिया से हारा।।

-शिखर सिंह
@slekh__stories दिल बेचारा...! खुद से जीता दुनिया से हारा,
कभी रूठा कभी मनाया,
ख़्वाब देखे बहोत से, पूरे न हुए तो ठुकराया,
मुश्किल सफर है खुशियों का, रोकर भी मंज़िल तक पहुचाया।
दिल बेचारा...! खुद से जीता दुनिया से हारा,
मुख़्तसर हँसाता, तो अक्सर रुलाता,
आस लगाए रहता खुशियों की, गम की और बाहें फैलाता,
इतराता बहोत सबके सामने, अकेले में सिमट सा जाता।।

दिल बेचारा...! खुद से जीता दुनिया से हारा, कभी रूठा कभी मनाया, ख़्वाब देखे बहोत से, पूरे न हुए तो ठुकराया, मुश्किल सफर है खुशियों का, रोकर भी मंज़िल तक पहुचाया। दिल बेचारा...! खुद से जीता दुनिया से हारा, मुख़्तसर हँसाता, तो अक्सर रुलाता, आस लगाए रहता खुशियों की, गम की और बाहें फैलाता, इतराता बहोत सबके सामने, अकेले में सिमट सा जाता।। #Dil