दिल बेचारा...! खुद से जीता दुनिया से हारा,
कभी रूठा कभी मनाया,
ख़्वाब देखे बहोत से, पूरे न हुए तो ठुकराया,
मुश्किल सफर है खुशियों का, रोकर भी मंज़िल तक पहुचाया।
दिल बेचारा...! खुद से जीता दुनिया से हारा,
मुख़्तसर हँसाता, तो अक्सर रुलाता,
आस लगाए रहता खुशियों की, गम की और बाहें फैलाता,
इतराता बहोत सबके सामने, अकेले में सिमट सा जाता।। #Dil