Silence जहाँ वाणी से न बात बने, वहाँ मौन से लीजे काम, मौन का लो अवलम्ब तुम, और दो शब्दों को आराम | वाणी से है क्रोध जगे, दूर कहीं विवेक भगे, बनते काम बिगड़ जाए ज़ब वाणी हृदय को कटु लगे, वहीं मौन से शांति, सद्बुद्धि, सदभावना जगे| मौन के चीत्कार से खड़ा शत्रु ठगा रह जाता, मौन ही मनुष्य के सोए हुए विवेक को जगाता | ज़ब भी हो विपरीत समय, वाणी का न लो आश्रय, "मौन के शरण -स्थल" में निश्चय होगी तुम्हारी "विजय "|| #Silence #मौन के#शरण#स्थल में #निश्चय होगी #तुम्हारी #विजय #स्मृति..... #Monika