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श्रीरामचरित मानस के अयोध्या कांड में गोस्वामी तुलस

श्रीरामचरित मानस के अयोध्या कांड में गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है। 

बारहिं बार लाइ उर लीन्ही। धरि धीरजु सिख आसिष दीन्ही॥
अचल होउ अहिवातु तुम्हारा। जब लगि गंग जमुन जल धारा॥
भावार्थ:-उन्होंने सीताजी को बार-बार हृदय से लगाया और धीरज धरकर शिक्षा दी और आशीर्वाद दिया कि जब तक गंगाजी और यमुनाजी में जल की धारा बहे, तब तक तुम्हारा सुहाग अचल रहे॥

©Shivam Tiwari #सब_अच्छा_होगा 

#Texture
श्रीरामचरित मानस के अयोध्या कांड में गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है। 

बारहिं बार लाइ उर लीन्ही। धरि धीरजु सिख आसिष दीन्ही॥
अचल होउ अहिवातु तुम्हारा। जब लगि गंग जमुन जल धारा॥
भावार्थ:-उन्होंने सीताजी को बार-बार हृदय से लगाया और धीरज धरकर शिक्षा दी और आशीर्वाद दिया कि जब तक गंगाजी और यमुनाजी में जल की धारा बहे, तब तक तुम्हारा सुहाग अचल रहे॥

©Shivam Tiwari #सब_अच्छा_होगा 

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