लाख ठोकरें खा कर संभालना सीखा है मंज़िल ना मिली लेकिन रास्तों से सीखा है ।। जो किताबों में पढ़ा वो काम आया ही नहीं ज़िन्दगी में हुए हादसों से बोहत सीखा है ।। ये बात अलग है के मुकम्मल ना हुऐ लेकिन नमुकम्मल ख्वाबों से मैंने उड़ना सीखा है ।। अपने नूर से बिखेर देना है हर सिमत उजाले मैंने मोम से जलना पिघलना सीखा है ।। मुकम्मल - पूरे , नमुकम्मल - अधूरे , simt -तरफ #Teachers #Nojotohindi #Nojotonews