गुरुघंटालों के प्रति -शिक्षकदिवस पर
मैंने गुरु से सीखा जितना ,उतना गुरुघंटालों से
ढाई घर चलनेवाली ,उनकी शतरंजी चालों से
जीवनपथ पर जब निकला मैं ,था सीधासादा सच्चा
पर लोगों को चुभता था यह,मैं क्यों हूँ इतना अच्छा
बार बार थे मुझे सताते राहों में अटका रोड़ा #poem#guru#Vedio#Life_experience#SpanishLove