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चन्द्रमा को शीश सजाए, मां गंगा जटा में समाए, किया

चन्द्रमा को शीश सजाए,
मां गंगा जटा में समाए,
किया है धारण सर्पो की माला,
त्रि - नेत्र का रूप तुम्हारा।
पिया जो तुमने विष का प्याला,
नीलकंठ तुम कहलाए,
कैलाश पर्वत पर विराजे,
देह पर तुम भस्म रमाए।
कण-कण में तेरा वास है,
शिव मुझको सिर्फ तेरा आस है,
जहां पूजे तुम्हे वो शिवाला हो जाए,
जो मन से याद करे शिव भक्त हो जाए।
आरंभ भी तू , अंत भी तू,
जीवन का मूलाधार भी तू,
वैरागी का रूप धर कर,
सृष्टि का निर्माता है तू।
तुम ही हो सृजन का आधार,
विभिन्न रूप तुम, विभिन्न प्रकार,
मूर्त रूप नहीं, अमूर्त रूप है आप,
संसार के हर ज़र्रे में है आप ।।
-Sandhya Kanojiya #shiv #shivshanker #bholenath
चन्द्रमा को शीश सजाए,
मां गंगा जटा में समाए,
किया है धारण सर्पो की माला,
त्रि - नेत्र का रूप तुम्हारा।
पिया जो तुमने विष का प्याला,
नीलकंठ तुम कहलाए,
कैलाश पर्वत पर विराजे,
देह पर तुम भस्म रमाए।
कण-कण में तेरा वास है,
शिव मुझको सिर्फ तेरा आस है,
जहां पूजे तुम्हे वो शिवाला हो जाए,
जो मन से याद करे शिव भक्त हो जाए।
आरंभ भी तू , अंत भी तू,
जीवन का मूलाधार भी तू,
वैरागी का रूप धर कर,
सृष्टि का निर्माता है तू।
तुम ही हो सृजन का आधार,
विभिन्न रूप तुम, विभिन्न प्रकार,
मूर्त रूप नहीं, अमूर्त रूप है आप,
संसार के हर ज़र्रे में है आप ।।
-Sandhya Kanojiya #shiv #shivshanker #bholenath
sandhya1071

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