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लिखते लिखते उनके वारे मे कलम से शाही मुक जाती

लिखते  लिखते  उनके वारे   मे
कलम से शाही  मुक जाती है 
मेरा  कशुर हो ना हो 
फिर भी  उनके  आगे  गर्दन  झुक जाती है 
  vinod Rajput bhati 
mami papa ke liye mama papa ke liye
लिखते  लिखते  उनके वारे   मे
कलम से शाही  मुक जाती है 
मेरा  कशुर हो ना हो 
फिर भी  उनके  आगे  गर्दन  झुक जाती है 
  vinod Rajput bhati 
mami papa ke liye mama papa ke liye