बेबसी मे घर को जलाने वाले बहुत रोते हैं ख्वाहिशे जिगर को मिटाने वाले बहुत रोते हैं जब कभी देखते हैं ये ऊजड़ी बुनियादें मकानों की तो तरसती आंखों से आशियां वाले बहुत रोते हैं मारुफ आलम बेबसी/शायरी