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रेत,मुट्ठी में रुकी कब भला रेत, में लिखा टिका कब भ

रेत,मुट्ठी में रुकी कब भला
रेत, में लिखा टिका कब भला
रेत में महल कहां बनते है भला
रेत फिर भी काम आती है, है ना!
रेत, सीमेंट, पानी से मिलती है जब
विसार कर अपना सम्पूर्ण रेतीलापन,
ऊंचे प्रसाद, महलों को देती है आकार।
नदी जब बहती है पर्वतों से निकल,
बड़े पत्थरों को, रेत में देती हैं बदल,
समुद्र तक अपने लम्बे सफर में
किनारों पर सजाकर रेत को,
समा जाती है असीम समुद्र में.
रेत को देकर एक मकसद।
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©Kamlesh Kandpal
  #ret