तेरे सीने पे अपने लबो से ग़ज़ल लिखूँगा तु है मेरी मजबूरी तुझको ग़रज लिखूंगा अखबारो मे तो झूठे खबर भी मिलते है मैं बेबाकी से गलत को गलत लिखूँगा दुनिया बहुत मरती है ज़र-ए-खूबसूरती पे मैं तुझको अपने ताज का चमक लिखूंगा बताये अब्र क्यो अधूरी हर गई तिश्नगी मेरी प्यास बुझेगी मेरी जब तुमझो तरस लिखूंगा दस्ता सुना के तेरे होंठ तो बहुत कॉपे है लड्डू गर मैं लिखा तो उसको तेरे आँखो का पलक लिखूँगा तेरे सीने पर....