राहें मेरी कविता "मेरा इश्क़" मैं कविताएं नहीं, कागज में अपना इश्क़ लिखता हूं। समय की इस सफीना के, बाजारों में मैं बिकता हूं।। मेरे ख्वाबों खयालों में, बस सूरत एक रहती है। मुझे पहरों तक लगता है, कि मुझसे कुछ तू कहती है।। मैं दूर भी रहूं कैसे, लहू बन के तू बहती है। मेरे हालात ऐसे हैं, कि पागल दुनिया कहती है।। बना कर मुझको तू अपना, तू मुझसे दूर रहती है। मोहब्बत को तू रुसवा कर, मजाक था फिर कहती है।। #मेरीकविता #मेराइश्क़